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Showing posts from February, 2016

सावधान! कूड़ेदान में पड़ी आपकी ATM Slip आपको महंगी पड़ सकती है

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आज हम एक शहर से दूसरे शहर बेफ़िक्र हो कर घूमते हैं. इसके कई कारणों में से एक पैसों की सुरक्षा है. हमारी जेब में मौजूद डेबिट और क्रेडिट कार्ड हमें पैसे चोरी होने की टेंशन से दूर रखते हैं. अक्सर एटीएम मशीन के बगल में रखे डस्टबिन में पर्चियों का ढेर बाहर तक निकला दिखता है, क्योंकि हमने कभी उस पर्ची की ज़रूरत को नहीं समझा. पर इन पर्चियों की कीमत क्या है, हम आपको बताते हैं. 1- बैंक से लेन—देन का सबूत है वो दिन लद गए जब आपके माता—पिता हर हफ़्ते बैंक सिर्फ पास बुक अपडेट कराने जाते थे. आज आप एटीएम स्लिप को लेन-देन के सबूत के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.चूंकि आज कल सारे लेन देन के रिकॉर्ड के लिए सॉफटवेयर इस्तेमाल होते हैं, ऐसे में आप इन स्लिप को बैंक की किसी गलती को सुधारने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर आपको यह चुनाव करने में मुश्किल है कि कौन सी पर्ची रखें कौन सी नहीं तो आप कुछ समय तक सारी पर्ची रख सकते हैं. थोड़े वक्त बाद जब आपको लगे की इसका कोई इस्तेमाल नहीं है तब इन्हें फेंक सकते हैं. 2- दूसरे इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं टेक्नोलॉजी जैसे तरक्की कर रही है चोर भ

माउंट आबू में है दुनिया का इकलौता मंदिर जहां होती है शिव के अंगूठे की पूजा

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Source: हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान शिव एकलौते ऐसे भगवान है जिनके लिंग की पूजा को सर्वोपरी समझा जाता है. पर आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां लिंग को पूजने की बजाये उनके अंगूठे को पूजा जाता है. राजस्थान का माउंट आबू कई जैन मंदिरों के अलावा भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिरों का घर भी है. source:  makemy  माउंट आबू के बारे में लोगों का कहना है कि जैसे बनारस को शिव की नगरी कहा जाता है, वैसे ही माउंट आबू को शिव का उपनगर कहते हैं. इसका उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है. यही से करीब 11 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा की तरफ अचलगढ़ की पहाड़ियों पर किले के पास स्थित है अचलेश्वर माहदेव मंदिर, जहां पर शिव जी के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है दाहिने पैर के इस अंगूठे पर शिव ने माउंट आबू पहाड़ को थाम रखा है और जिस दिन ये अंगूठे का निशान गायब हो जाएगा तब माउंट आबू का ये पहाड़ भी ख़त्म हो जाएगा. Source: jagran इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही पंच धातु की बनी नंदी की एक विशाल प्रतिमा है, जिसका वजन लगभग चार टन हैं. मंदिर के गर्भगृह पहुंचने पर

इंजीनियरिंग छोड़ कर इन दोनों दोस्तों ने खोली चाय की दुकान, आज करोड़ों कमा रहे हैं

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भाई एक कप चाय देना...अरे नहीं, तीन कप कर देना यार!' चाय की दुकान में घुसते ही हम कुछ इसी तरह से ऑर्डर देते हैं. देखा जाए तो भारत की 90 फीसदी जनता चाय पीती है. इस कारण यहां हर मोड़ पर, हर गली में, हर चौराहे पर चाय की दुकान मिलजाएगी. सड़क पर मिलने वाली ज़्यादातर चाय की दुकानें, किसी न किसी मजबूरी में खुली होती हैं. बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि लोग ज़िंदगी जीने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. लेकिन कुछ ऐसे नौजवान हैं, जो इंजीनियरिंग के पेशे को छोड़ कर चाय की दुकान चला रहे हैं और लाखों कमा भी रहे हैं. इनकी कहानी सुन कर आप भी इनसे ज़रूर प्रेरित होंगे.   इंजीनियर से 'चायवाला' बने दो दोस्त अभिनव टंडन और प्रमीत शर्मा यूपी के रहने वाले हैं. आस-पास के लोग इन्हें कभी इंजीनियर साहब बुलाया करते थे, लेकिन आज 'चायवाला' कहते हैं. अपनी नौकरी छोड़ इन दोनों ने चाय की दुकान खोली, जो काफ़ी सफ़ल रही. चाय की होम डिलीवरी करते हैं इंजीनियर्स का दिमाग वास्तव में ख़तरनाक होता है. ये बात इन दोनों युवाओं ने साबित भी कर दी. चाय की होम डिलीवरी कर लोगों को अपना दीवाना

जन्म देती हुई इन महिलाओं की ये 16 तस्वीरें देख कर आप कहेंगे, 'ऐ ज़िन्दगी गले लगा ले'

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मारना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल है जीवन देना. किसी को जीवन देना कितना खूबसूरत है, इस बात का एहसास एक महिला को मां बनते हुए अच्छे से होता है. मां बनना शायद दुनिया की सबसे अद्भुत प्रक्रियाओं में से एक है. जन्म देने का ज़िम्मा प्रकृति ने एक औरत को इसलिए दिया क्योंकि इस काम के लिए जो साहस और कोमलता चाहिए, वो सिर्फ एक महिला में हो सकती है. जन्म देने की ये प्रक्रिया पीड़ादायक तो है, लेकिन उतनी ही खूबसूरत भी. इसीलिए शायद इतने कष्टों के बावजूद एक औरत को सबसे ज़्यादा ख़ुशी मां बनने पर मिलती है. आम तौर पर लोग जन्म देने की प्रक्रिया को लेकर उतने उत्साहित नहीं रहते, जितना सुंदर ये है. Leilani Rogers ने अपनी खींची फ़ोटोज़ के माध्यम से जन्म को बहुत खूबसूरत तरीके से दिखाया है. Rogers का कहना है कि, ये एक ऐसा पल होता है, जो हर किसी के लिए ख़ास होना चाहिए. ये हैं कुछ तस्वीरें जिनमें आप जीवन को मां के हाथों में अंगड़ाई लेते हुए देख सकते हैं: 1. ये बच्चा Amniotic Sac में हुआ था. Amniotic Sac मां के गर्भ में वो सबसे पतली थैली होती है, जो भ्रूण को सुरक्षित रखती है. 2. 7 साल की ये बच्ची,

ये हैं गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के ऐस 10 रिकॉर्डस जिनका टूटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है

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जब से गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड को शुरू किया गया है, तब से ले कर आज तक न जाने कितने रिकॉर्ड बने और टूटे हैं. लेकिन इस बुक में कुछ ऐसे भी रिकॉर्ड हैं जिनका टूटना नामुमकिन है. और ये रिकॉर्ड ज़िंदगी भर के लिए एक ही शख़्स के नाम हो कर रह गए. 1. Ted St. Martin Ted St. Martin मार्टिन ने स्कूल के बाद कभी भी बास्केट बॉल नहीं खेली. लेकिन जब रिकॉर्ड की बात आई तो उन्होंने बास्केट बॉल को लगातार पास करने का एक रिकॉर्ड बना डाला. पहले Ted St. Martin नें Levitt के 499 के रिकॉर्ड को 739 पास से तोड़ा. इतना ही नहीं, इसके बाद वो रुके नहीं और लगातार 5221 पास किए. आपको बता दें कि NBA में भी आज तक सिर्फ़ 78 पासेज़ का रिकॉर्ड है. 2. Roy Sullivan Roy Sullivan के नाम एक अजीब और खतरनाक रिकॉर्ड है. इसके ऊपर सात बार बिजली गिरी और सातों बार उन्हें मामूली सी चोट आईं. 1942 से ले कर 1977 के बीच ये हादसे हुए. ये ऐसा रिकॉर्ड है जो कभी नहीं टूट सकता और न ही कोई तोड़ने की चाहत रखता होगा. 3. Charles Osborne हिचकी थोड़ी देर में ही किसी को परेशान करने के लिए काफ़ी है. लेकिन Charles Osborn

10 ऐसे बड़े झूठ जिन्होंने पूरे इंडिया को बेवक़ूफ़ बना दिया

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कहा जाता है कि जंगल की आग से भी तेज़ कोई चीज़ फैलती है तो वो चीज़ अफवाह होती है. और जो बिना किसी सहारे के ही सैकड़ों, हज़ारों मीलों का सफ़र तय कर लेती है. हम हर रोज कोई न कोई नयी ख़बर सुनते हैं, जिनमें से कुछ सच और कुछ झूठ भी हुआ करती हैं. इससे जुड़ी ही एक बहुत पुरानी कहावत है जो हिटलर के प्रचार मंत्री ‘गोएबल्स’ से जुड़ती हैं. गोएबल्स कहता था कि किसी भी झूठ को 100 बार यदि जोर-जोर से बोला जाए तो वह अंतत: सच लगने लगता है. तो पेश हैं इंडिया के वे 10 ऐसे झूठ जिन्हें हम अब तक सच मानते रहे हैं. 1. 1960 रोम ओलम्पिक्स के 400 मीटर रेस के दौरान मिल्खा सिंह ने पीछे मुड़ कर देखा “फ्लाइंग सिक्ख” के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर, मिल्खा सिंह 1960 के रोम ओलम्पिक्स के 400 मीटर रेस में कभी भी सबसे आगे नहीं थे. और न ही उन्होंने उस रेस में कभी पीछे मुड़ कर देखा था. वे इस रेस में पांचवे नंबर पर थे और काफ़ी मेहनत-मशक्कत के बाद चौथा स्थान हासिल कर सके थे. Source: merepix 2. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी सन् 1999 में आई मुखर्जी रिपोर्ट बताती