>> इन बेहूदा अफ़वाहों का सच जानने के बाद आप ख़ुद ही अपने बाल नोचेंगे

इंटरनेट की दुनिया भी अजीब है. हमें बहुत सारा ज्ञान इंटरनेट से मिलता है, मगर कई बार ऐसी चीज़ें हमारे सामने आ जाती हैं, जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है, दरअसल ये अफवाहें होती हैं. पर इन अफवाहों को सच के लिफाफे में लपेटकर हम तक पहुंचाया जाता है और हम इन झूठों को सच मान लेते हैं.
यहां हम ऐसी ही 10 अफवाहों का ज़िक्र कर रहे हैं, जो बहुत मशहूर हैं. आपने भी इनके बारे में जरूर सुना होगा-



1. "दिवाली की रात भारत" नाम से ये तस्वीर


सच: आप जो तस्वीर देख रहे हैं, ये तस्वीर खूब चर्चा में रही. ईमेल पर आई तस्वीर के साथ संदेश ये आया कि दिवाली के दिन सैटेलाइट से भारत ऐसा दिखता है. परंतु सच ये है कि ये जानकारी एक कोरी अफवाह थी. ये तस्वीर अमेरिका के "नेशनल जियोफिजिकल डाटा सेंटर ऑफ़ द नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन" की तरफ से जारी की गई थी. हकीकत में ये तस्वीर 1992 से लेकर 2003 तक भारत की रातों के दृश्यों में आए बदलावों की कहानी कहती है. ये तस्वीर कंपोज़िट सैटेलाइट व्यू है. 1992 का सैटेलाइट डाटा नीले रंग में है तो 1998 का हरे रंग में. वहीं 2003 का डाटा लाल रंग में दिखाया गया है. इस तस्वीर को नासा ने विकसित करके ये दिखाने की कोशिश की है कि भारत में एक विशेष समय के अंदर जनसंख्या में कितना परिवर्तन आया है.

2. स्विस बैंक की कालेधन पर "असली" स्टेटमेंट


सच: पिछले काफ़ी समय से कालेधन का मामला छाया हुआ है. इसे लेकर कई तरह की ग़लत जानकारियां या कहें कि अफवाहें सामने आई हैं. किसी डॉक्यूमेंट की ये तस्वीर भी अफवाह ही है, जो कालेधन के मालिकों के नामों का खुलासा कर रही है. ये तस्वीर खुद ही बताती है कि वह झूठी है. सबसे पहले तो इसमें लिखा गया है "इंडियन गवर्नमेंट", जबकि भारत सरकार को आधिकारिक रूप से "गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया" लिखा जाता है. दूसरा झूठ ये कि बैंक में पड़ी धनराशि को रुपयों में बताया गया है, जबकि स्विस बैंकों में अमेरिकी डॉलर, यूरो पाउंड या जीबी पाउंड में काम होता है, न कि भारतीय रुपयों में. तीसरी बात ये कि इसमें बैंक के पते में दिया गया टेलीफोन कोड 0044 है, जबकि ये कोड यूके का है. स्विट्ज़रलैंड का कोड 0041 है. चौथी ग़लती ये कि बैंक मैनेजर के साइन दाईं तरफ किए गए हैं, जबकि यूरोपियन सिस्टम में इस तरह के साइन पेज पर बाईं तरफ किए जाते हैं.

3. तीन सिर वाला सांप


सच: पिछले दिनों ये तीन सिर वाले सांप की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रही. इसके साथ संदेश ये था कि ये सांप भारत में पाया गया है और ये कुदरत का अद्भुत करिश्मा है. लेकिन यदि आप गौर करेंगे तो पाएंगे ये कुदरत का नहीं फोटोशॉप का करिश्मा है. ये कोरी अफवाह थी.

4. "यूनेस्को ने भारतीय राष्ट्रीय गान को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया"


सच: ईमेल, ब्लॉग् और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए इस फोटो के साथ इस संदेश को खूब फैलाया गया कि "जन गण मन" को यूनेस्को ने सबसे अच्छा नेशनल एंथम घोषित किया है. हालांकि ये अफवाह ही थी. ऐसी कोई ख़बर किसी तरह के मीडिया में नहीं आई और ना ही यूनेस्को की वेबसाइट पर ऐसी कोई जानकारी दी गई. फिर भी इंडिया टुडे ने इस बात की सच्चाई जानने के लिए यूनेस्को को लिखा और यूनेस्को ने जवाब में कहा कि ये संदेश सिर्फ अफवाह है.

5. एक भारतीय महिला ने 11 बच्चों को एकसाथ जन्म दिया!


सच: ये तस्वीर जो आप देख रहे हैं, वो बिलकुल सही है. मगर इस तस्वीर के साथ जो जानकारी पहुंचाई गई, वह ग़लत थी. कहा गया था कि एक भारतीय महिला ने 11 बच्चों को जन्म दिया है, जिनमें से 6 जुड़वां हैं. इसे भगवान का चमत्कार कहा गया था.
ये तस्वीर गुजरात के सूरत स्थित 21वीं सेंचुरी हॉस्पिटल एंड टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की है. इस सेंटर में 11.11.11 को अलग-अलग 11 बच्चों ने जन्म लिया, जिसे डॉक्टरों और बाकी स्टॉफ ने मिलकर सेलिब्रेट किया. मगर आप तक इसे ग़लत तरीके से पहुंचाया गया.

6. खुदाई में विशाल मानव कंकाल का मिलना


सच: ईमेल के जरिए इस तस्वीर को लोगों ने शेयर किया और कहा कि खुदाई में एक मानव कंकाल मिला है, जो बेहद विशाल है. ये ख़बर भारत और बांग्लादेश के कई मीडिया संस्थानों ने दिखाई और छापी भी. मगर ये सच नहीं था. सच ये था कि ये worth1000.com नाम की एक वेबसाइट ने इमेज मैनिपुलेशन (तस्वीर से छेड़छाड़) कॉन्टेस्ट रखा था, जिसमें एक प्रतिभागी ने इस तरह की तस्वीर को प्रस्तुत किया था.

7. श्रीलंका में मिली हनुमान जी की विशाल गदा


सच: तस्वीर में श्री रामभक्त हनुमान जी की एक बड़ी सी गदा नज़र आ रही है. अफवाह फैलाने वालों ने इस तस्वीर को लोगों तक इस जानकारी के साथ पहुंचाया कि ये तस्वीर श्रीलंका की है, जहां खुदाई में हनुमान जी की गदा पाई गई है. परंतु सच ये है कि हनुमान जयंती (25 अप्रैल 2013) के मौके पर इंदौर में ये 45 फुट की गदा हनुमान की 125 फुट ऊंची प्रतिमा पर लगाई गई थी. इससे संबंधित एक ख़बर हिन्दुस्तान टाइम्स के ईपेपर में दिखाई गई.

8. वैलेन्टाइन के दिन हुई थी भगत सिंह को फांसी


सच: शहीद भगत सिंह से जुड़ी एक ग़लत जानकारी फैलाने की कोशिश की गई कि उन्हें 23 मार्च को नहीं, 14 फरवरी को फांसी दी गई थी. पर हकीकत ये है कि 1929 में असेंबली में बम फेंकने के बाद भगत सिंह को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया था. भगत सिंह से जुड़े इस मामले की तेज गति से सुनवाई के लिए तब के वायसराय लॉर्ड इरविन ने एक प्रीवी काउंसिल का गठन किया था. तब एक भारतीय डिफेंस कमेटी ने प्रीवी काउंसिल के खिलाफ पंजाब में अपील की थी, जिसे जज विस्काउंट डुनेडिन ने ठुकरा दिया था. इसके बाद 14 फरवरी 1931 को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय लॉर्ड इरविन के सामने एक यदा याचिका डाली, मगर ये याचिका भी स्वीकार नहीं की गई और भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को शाम 7 बजकर 30 मिनट पर लाहौर जेल में फांसी दे दी गई. भगत सिंह के साथ उनके दो साथी राजगुरु और सुखदेव भी थे.

9. "दिल्ली पुलिस की तरफ से महत्वपूर्ण संदेश: फ्रूटी से HIV हो सकता है."


सच: फेसबुक और व्हाट्सऐप पर ये सूचना बहुत अधिक प्रचारित की गई कि फ्रूटी में ऐसे तत्व हैं, जिससे एचआईवी जैसा गंभीर रोग हो सकता है. संदेश में दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि इसका इस्तेमाल ना करें. कहा गया कि कंपनी के एक एचआईवी पॉजिटिव कर्मचारी ने अपना खून फ्रूटी में मिला दिया है. सिर्फ इतना ही नहीं, ये झूठ भी फैलाया गया कि इस ख़बर को एनडीटीवी ने भी दिखाया है. परंतु बाद में दिल्ली पुलिस और एनडीटीवी दोनों ने इस तरह की किसी भी बात से इनकार किया. और ये बात भी ध्यान देने योग्य थी कि संक्रमित भोजन से एड्स नहीं फैलता.

10. आंध्र प्रदेश के नलगोंडा में मिला रहस्यमयी वृक्ष


सच: इस तस्वीर में दिखाया गया है कि एक वृक्ष के तने पर जानवर बने हुए हैं. जानवरों में मगरमच्छ, बंदर, सांप, मकड़ियां इत्यादी हैं. ये भी कहा गया कि ये बाओबाज़ ट्री है और इसका तना दुनिया में किसी भी वृक्ष से बड़ा है. दरअसल आंध्र प्रदेश के नलगोंडा में ऐसा कोई पेड़ नहीं मिला है. ये तो डिज़्नी लैंड में कला का एक नमूना है.

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