>> भारत में चला चलन पुरुष वेश्यों का चलन

आदमियों को अपनी शारीरिक ज़रूरतें पूरी करनी हों तो वे वेश्याओं के पास जाते हैं. कुछ रूपए चुकाए और अपनी शारीरिक ज़रूरतें पूरी कर लीं.
लेकिन तब क्या जब एक महिला को अपनी शारीरिक ज़रूरतें पूरी करनी हो. क्या ‘पुरुष वेश्य’ भी होते हैं? जी हाँ!
आपकी जानकारी के लिए बताए देता हूँ कि पुरुष वेश्य भी मौजूद हैं, जो ठीक महिला वेश्याओं की तरह एक रकम लेकर औरतों का मन बहलाते हैं.
इन पुरुषों को दुनिया भर में ‘जिगोलो’ के नाम से जाना जाता है.
‘जिगोलो’ एक फ़्रांसिसी शब्द है. यह शब्द आया ‘जिगोलेत’ से, फ़्रांसिसी में जिसका मतलब होता है ‘महिला वेश्या’.
इन्टरनेट पर अलग-अलग वेबसाईट हैं जो ‘जिगोलो’ के पेशों को बढ़ावा देती हैं और उनकी सेवाओं को विज्ञापित करती हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत जैसे देश में भी, जो अपनी संस्कृति और रीतियों से इतना जुड़ा हुआ है, पुरुष वेश्यों का व्यवसाय जोरो-शोरो से चल रहा है. मुंबई, दिल्ली और कलकत्ता जैसे बड़े शहरों में यह व्यवसाय काफी हद तक अपनी जडें जमा चुका है.
इस व्यवसाए से काफी जोखिम भी जुड़े हुए हैं. एक जोखिम तो AIDS और सिफिलिस जैसे यौन प्रेषित रोगों का होता है.
लेकिन कुछ ऐसी संस्थाएं हैं जो पुरुष वेश्यों की मेडिकल जांच करती हैं और उसके बाद ही उनको इस पेशे में उतारती हैं ताकि ऐसी बीमारियाँ ना फैलें.
पुरुष वेश्यों को बाकायदा प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
मूल रूप से उनको इन 3 चीज़ों के बारे में सिखाया जाता है.
1) एक महिला से बात किस तरह की जाए.
2) एक महिला को किस तरह संतुष्ट किया जाए.
3) खुद को किस तरह मार्केट में बेचा जाए.
ज़्यादातर ग्राहक अमीर औरतें और पुरुष ही होते हैं क्योंकि एक पुरुष वेश्य के लिए एक महिला वेश्या से ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं.
ग्राहक के अंदर हमेशा एक सामाजिक डर बैठा रहता है, क्योंकि समाज ज़ाहिर तौर पर पुरुष वेश्यों का समर्थन नहीं करता. और अगर वेश्यों की जिंदगियों पर नज़र डाली जाए तो आपको पता चलेगा कि वे किन-किन मुसीबतों से गुज़रते हैं.
जैसा कि मैंने पहले कहा कि समाज पुरुष वेश्यों का समर्थन नहीं देता है और ना ही उनके ग्राहकों का.
जिगोलो बनना चरित्र पर कलंक लगना माना जाता है. अक्सर इस पेशे में वे लोग शामिल होते हैं जिनका अतीत इतना अच्छा नहीं रहा है या जिनका बचपन में यौन शोषण किया गया था. बहुत से लोग तो इसलिए इसलिए इस पेशे में उतरते हैं ताकि वे जल्द से जल्द पैसे कमा सकें.
काफी पुरुष वेश्यों द्वारा ग्राहकों के घर में लूट-पाट करने के मामले भी सामने आए हैं. हिंसा और चोरी इस व्यवसाए से एक तरह से जुड़े हुए हैं.
हर चीज़ का एक बुरा पहलु और एक अच्छा पहलू होता है. अगर एक बार समाज इनको स्वीकार ले, तो शायद इस व्यवसाए से जुड़े जुर्म भी कम हो जाएं.

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