>> भारत के 12 सबसे कुख्यात हत्यारे कहां हैं और क्या कर रहे हैं
विश्वभर
में एक चीज़ समान है, वो है अपराध. चाहे देश कितनी भी प्रगति क्यों न कर
जाये लेकिन अपराध उसके विकास को कहीं न कहीं गिरा देता है. भारत में
अपराधियों की कमी नहीं है. तंदूर हत्याकांड से लेकर आरूषि मर्डर केस जैसे
घिनौने अपराधों के बारे में जान कर आम इंसान की रूह कांप जाती है. हाल ही
में हुआ शीना बोरा मर्डर केस इसका एक ताज़ा उदाहरण है.
फ़िलहाल-ए-हाल: अपना ज़्यादा समय Piccadily Hotel में बिताते हैं, गौरतलब है कि यह इनका अपना होटल है.
जेसिका लाल हत्याकांड में दोषी मनु शर्मा काफ़ी बार पैरोल ले कर बाहर आ चुके हैं. हाल ही में चंड़ीगढ़ में उनका विवाह भी सम्पन्न हुआ. यह सब इसीलिए होता है क्योंकि मनु शर्मा के पिता का राजनीति में रसूख और जेब में पैसा है.
फ़िलहाल-ए-हाल: 20 साल सज़ा भुगतने के बाद फ़िलहाल ज़मानत ले कर बाहर आ चुके हैं.
इस केस ने पूरे देश को हैरान कर के रख दिया था. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि दरिंदगी की हदें एक इंसान कैसे पार कर सकता है. 1995 में सुशील ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी और सबूत मिटाने के लिए उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर के उसे तंदूर में डाल दिया था.
फ़िलहाल-ए-हाल: तिहाड़ जेल में हैं और कई बार इनकी ज़मानत की अर्जी भी ख़ारिज हो चुकी है.
साल 2002 में विकास और उसके भाई ने नीतीश कटारा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के बाद उसकी हत्या कर दी. यह एक ऑनर किलींग का मामला था. विकास की बहन नीतीश से मोहब्बत करती थी, जिसको विकास बर्दाश्त नहीं कर पाया और इस घिनौने हत्याकांड को अंजाम दे दिया.
फ़िलहाल-ए-हाल: उत्तर प्रदेश के पापरा गांव में जीवनयापन कर रहे हैं.
सात साल पुणे की यरवदा जेल में सज़ा काटने के बाद सोहनलाल अपने पूर्वजों के गांव दादूपुर जा कर रहने लगे, पर फ़िलहाल पापरा गांव में रह रहे हैं.
फ़िलहाल-ए-हाल: इनकी फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया गया है. अभी होडलगम जेल में सज़ा काट रही हैं.
के.डी केम्पम्मा को लोग “Cyanide Mallika” के नाम से भी जानते हैं. यह भारत की पहली महिला सीरियल किलर थी. यह लगभग छह महिलाओं को ज़हर दे कर मार चुकी हैं. पहले अमीर महिला भक्तों से दोस्ती करती थी फ़िर उन्हें प्रसाद में साइनायड का ज़हर मिला कर दे देती थी.
फ़िलहाल-ए-हाल: Juvenile जेल में 18 साल की उम्र तक रहना होगा.
आठ साल की उम्र में अपनी तीन बहनों की हत्या करने के बाद अदालत ने अमरजीत की मानसिक चिकित्सा करवाने का आदेश प्रशासन को दिया था. Juvenile जेल प्रशासन मानसिक चिकित्सा के साथ-साथ शिक्षित होने पर भी ज़ोर दे रहा है.
फिलहाल-ए-हाल: 2013 में फांसी की सज़ा हो चुकी है. अभी बंतवाल जेल में बंद हैं.
मोहन कुमार ने लगभग 20 महिलाओं को साइनायड एवं अन्य ज़हरीली दवाईयां दे कर मौत के घाट उतारा. यह एक ऐसे सीरियल किलर थे जो सिर्फ़ महिलाओं को अपना निशाना बनाते थे.
फ़िलहाल-ए-हाल: सात साल की सज़ा भुगतने के बाद जेल से ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं.
दिसंबर, 2006 में नोएडा के सेक्टर-31 की डी-5 कोठी के नाले में एक दर्जन से ज़्यादा बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे. मामले में पंढेर और उसके कुछ समय बाद नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ़्तार किया गया था. अपनी सेहत और अपने परिवार का हवाला देते हुए मोनिंदर ने ज़मानत ले ली.
फिलहाल-ए-हाल: टैक्सी ड्राइवरों की हत्या करने के चलते इन्हें फांसी की सज़ा हो चुकी है, फ़िलहाल गुड़गांव की भौंडसी जेल में कैद हैं.
ये आर्युवैदिक डॉक्टर होने के साथ-साथ सीरियल किलर भी थे. देवेंद्र टैक्सी ड्राइवरों की हत्या कर उनके सामान एवं गाड़ी को बेच देते थे.
फिलहाल-ए-हाल: फ़ांसी की सज़ा हो जाने के बाद समय जेल में बीता रहे हैं.
निठारी हत्याकांड में मोनिंदर सिंह का मामला सामने आने के बाद भी निठारी गांव से कुछ बच्चे गायब थे. जांच करने के बाद पता चला कि उन बच्चों की लाशें सुरेंद्र कोहली के घर पर थी, जिसके बाद उसे हिरासत में लिया गया. सुरेंद्र, मोनिंदर पंढेर का नौकर था.
फिलहाल-ए-हाल: दया याचिका खारिज हो चुकी है, दोनों को फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है.
ये दोनों बहनें स्कूल जा रहे बच्चों का अपहरण करके उन्हें प्रताड़ित करने के बाद मौत के घाट उतार देती थीं. दोनों ने लगभग 5 मासूम बच्चों की हत्या की थी.
फिलहाल-ए-हाल: 2013 से उत्तर प्रदेश की एक जेल में हैं.
इस केस ने अपराध की सारी हदें पार कर दी थी. कैसे कोई मां-बाप अपनी मासूम बेटी की हत्या कर सकते हैं? यह सवाल आपके मन में आ सकता है, लेकिन नूपुर और राजेश तलवार के मन में एक बार भी नहीं आया होगा. अगर आया होता तो शायद इतना भयंकर और निर्दयी कदम न उठाते.
1. जेसिका लाल हत्याकांड (1999)
दोषी: मनु शर्माफ़िलहाल-ए-हाल: अपना ज़्यादा समय Piccadily Hotel में बिताते हैं, गौरतलब है कि यह इनका अपना होटल है.
जेसिका लाल हत्याकांड में दोषी मनु शर्मा काफ़ी बार पैरोल ले कर बाहर आ चुके हैं. हाल ही में चंड़ीगढ़ में उनका विवाह भी सम्पन्न हुआ. यह सब इसीलिए होता है क्योंकि मनु शर्मा के पिता का राजनीति में रसूख और जेब में पैसा है.
Source: thehindu
2. नैना साहनी तंदूर मर्डर केस (1995)
दोषी: सुशील शर्माफ़िलहाल-ए-हाल: 20 साल सज़ा भुगतने के बाद फ़िलहाल ज़मानत ले कर बाहर आ चुके हैं.
इस केस ने पूरे देश को हैरान कर के रख दिया था. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि दरिंदगी की हदें एक इंसान कैसे पार कर सकता है. 1995 में सुशील ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी और सबूत मिटाने के लिए उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर के उसे तंदूर में डाल दिया था.
Source: indiatvnews
3. नीतीश कटारा हत्याकांड
दोषी: विकास यादवफ़िलहाल-ए-हाल: तिहाड़ जेल में हैं और कई बार इनकी ज़मानत की अर्जी भी ख़ारिज हो चुकी है.
साल 2002 में विकास और उसके भाई ने नीतीश कटारा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के बाद उसकी हत्या कर दी. यह एक ऑनर किलींग का मामला था. विकास की बहन नीतीश से मोहब्बत करती थी, जिसको विकास बर्दाश्त नहीं कर पाया और इस घिनौने हत्याकांड को अंजाम दे दिया.
Source: india
4. अरुणा शानबाग केस (1973)
दोषी: सोहनलाल वाल्मीकिफ़िलहाल-ए-हाल: उत्तर प्रदेश के पापरा गांव में जीवनयापन कर रहे हैं.
सात साल पुणे की यरवदा जेल में सज़ा काटने के बाद सोहनलाल अपने पूर्वजों के गांव दादूपुर जा कर रहने लगे, पर फ़िलहाल पापरा गांव में रह रहे हैं.
Source: indianexpress
5. Cyanide Mallika Case (2007)
दोषी: के.डी केम्पम्माफ़िलहाल-ए-हाल: इनकी फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया गया है. अभी होडलगम जेल में सज़ा काट रही हैं.
के.डी केम्पम्मा को लोग “Cyanide Mallika” के नाम से भी जानते हैं. यह भारत की पहली महिला सीरियल किलर थी. यह लगभग छह महिलाओं को ज़हर दे कर मार चुकी हैं. पहले अमीर महिला भक्तों से दोस्ती करती थी फ़िर उन्हें प्रसाद में साइनायड का ज़हर मिला कर दे देती थी.
Source: scoopwhoop
6. आठ साल की उम्र में तीन ख़ून (2006)
दोषी: अमरजीत सदाफ़िलहाल-ए-हाल: Juvenile जेल में 18 साल की उम्र तक रहना होगा.
आठ साल की उम्र में अपनी तीन बहनों की हत्या करने के बाद अदालत ने अमरजीत की मानसिक चिकित्सा करवाने का आदेश प्रशासन को दिया था. Juvenile जेल प्रशासन मानसिक चिकित्सा के साथ-साथ शिक्षित होने पर भी ज़ोर दे रहा है.
Source: trendingpost
7. साइनायड मोहन केस (2009)
दोषी: मोहन कुमारफिलहाल-ए-हाल: 2013 में फांसी की सज़ा हो चुकी है. अभी बंतवाल जेल में बंद हैं.
मोहन कुमार ने लगभग 20 महिलाओं को साइनायड एवं अन्य ज़हरीली दवाईयां दे कर मौत के घाट उतारा. यह एक ऐसे सीरियल किलर थे जो सिर्फ़ महिलाओं को अपना निशाना बनाते थे.
Source: scoopwhoop
8. निठारी हत्याकांड (2006)
दोषी: मोनिंदर सिंह पंढेरफ़िलहाल-ए-हाल: सात साल की सज़ा भुगतने के बाद जेल से ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं.
दिसंबर, 2006 में नोएडा के सेक्टर-31 की डी-5 कोठी के नाले में एक दर्जन से ज़्यादा बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे. मामले में पंढेर और उसके कुछ समय बाद नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ़्तार किया गया था. अपनी सेहत और अपने परिवार का हवाला देते हुए मोनिंदर ने ज़मानत ले ली.
Source: ndtvimg
9. सीरियल किलर डॉक्टर (2008)
दोषी: देवेंद्र शर्माफिलहाल-ए-हाल: टैक्सी ड्राइवरों की हत्या करने के चलते इन्हें फांसी की सज़ा हो चुकी है, फ़िलहाल गुड़गांव की भौंडसी जेल में कैद हैं.
ये आर्युवैदिक डॉक्टर होने के साथ-साथ सीरियल किलर भी थे. देवेंद्र टैक्सी ड्राइवरों की हत्या कर उनके सामान एवं गाड़ी को बेच देते थे.
Source: murderpedia
10. नोएडा सीरियल मर्डर केस (2006)
दोषी: सुरेंद्र कोहलीफिलहाल-ए-हाल: फ़ांसी की सज़ा हो जाने के बाद समय जेल में बीता रहे हैं.
निठारी हत्याकांड में मोनिंदर सिंह का मामला सामने आने के बाद भी निठारी गांव से कुछ बच्चे गायब थे. जांच करने के बाद पता चला कि उन बच्चों की लाशें सुरेंद्र कोहली के घर पर थी, जिसके बाद उसे हिरासत में लिया गया. सुरेंद्र, मोनिंदर पंढेर का नौकर था.
Source: livemint
11. पांच बच्चों की हत्यारन दो बहनें (2006)
दोषी: रेणुका शिंदे और सीमा गवितफिलहाल-ए-हाल: दया याचिका खारिज हो चुकी है, दोनों को फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है.
ये दोनों बहनें स्कूल जा रहे बच्चों का अपहरण करके उन्हें प्रताड़ित करने के बाद मौत के घाट उतार देती थीं. दोनों ने लगभग 5 मासूम बच्चों की हत्या की थी.
Source: livemint
12. आरूषि तलवार हत्याकांड (2008)
दोषी: नूपुर तलवार और राजेश तलवारफिलहाल-ए-हाल: 2013 से उत्तर प्रदेश की एक जेल में हैं.
इस केस ने अपराध की सारी हदें पार कर दी थी. कैसे कोई मां-बाप अपनी मासूम बेटी की हत्या कर सकते हैं? यह सवाल आपके मन में आ सकता है, लेकिन नूपुर और राजेश तलवार के मन में एक बार भी नहीं आया होगा. अगर आया होता तो शायद इतना भयंकर और निर्दयी कदम न उठाते.